12 ज्योतिर्लिंगों के रहस्य की सीरीज, भाग-1 श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
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- rohit singh
- August 12, 2022
- Uncategorized धार्मिक लेटेस्ट न्यूज़
हिंदू पुराणों के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंग (भगवान शिव के प्रतीक) भारतवर्ष के अलग-अलग भागो में स्थित है| 12
ज्योतिर्लिंग को द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जानते हैं| इन 12 स्थानों को पृथ्वी के सबसे पवित्र स्थानों के रूप में जाना
जाता है जहां भगवान शिव का वास है| इन सभी ज्योतिर्लिंगों की अपनी एक अलग कथा है जो इनकी उत्पत्ति और इनके
प्रभाव को बताती है आइए जानते हैं इन ज्योतिर्लिंग के रहस्य|
भाग-1 श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
हिंदू पुराणों के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्राचीन और प्रथम ज्योतिर्लिंग है यह ज्योतिर्लिंग
गुजरात राज्य के वरावल शहर के प्रभासक्षेत्र में स्थित है| यह वही वरावल वहीं क्षेत्र है जहां भगवान कृष्ण ने "जरा" नामक
शिकारी के बाण से अपने लीला समाप्त की थी|
भगवान ब्रह्मा जी की संतान का नाम दक्ष था | दक्ष प्रजापति की पत्नी का नाम अश्विनी या अथवा प्रसूति था| इनकी
पुत्रियों की संख्या को लेकर मतभेद है ज्यादातर धर्म ज्ञाताओं के अनुसार इनकी 60 पुत्रियां थी| दक्ष प्रजापति ने अपनी 27
पुत्रियों का विवाह चंद्रदेव के साथ किया था |चंद्रदेव सृष्टि के संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं और वह पृध्वी को सुधा
और शीतलता प्रदान करते हैं|
चंद्र देव का विवाह भले ही दक्ष की 27 पुत्रियों के साथ हुआ हो परंतु चंद्र देव उनमें से रोहिणी को ही प्रेम करते थे | इससे
दक्ष की बाकी 26 पुत्रियों को अत्यंत कष्ट होता था| यह बात उन्होंने अपने पिता दक्ष को बताई | दक्ष प्रजापति इस बात से
अत्यंत क्रोधित हुए परंतु उन्होंने संयम से काम लिया और चंद्र देव को समझाया | फिर भी चंद्र देव रोहिणी को अपना समय
देते थे| उसी दौरान चंद्रदेव अपनी पत्नी रोहिणी को अपने साथ चंद्र महल ले जा रहे थे |यह बात जैसे ही दक्ष प्रजापति को
पता चली उन्होंने चंद्रदेव से अपनी बाकि 26 पत्नियों को ले जाने की बात कही, जिसे चंद्रदेव ने यह कहकर मना कर दिया कि
भले ही उनकी 27 पत्नियाँ हो परंतु वह मन से सिर्फ रोहिणी से प्रेम करते हैं| यह बात दक्ष प्रजापति को अच्छी नहीं लगी
और उन्होंने चंद्रदेव को क्षय रोग का श्राप दे डाला | श्राप के कारण चंद्रदेव तत्काल ही क्षय रोग से ग्रसित हो गए | चंद्र देव
के क्षय रोग ग्रस्त होने के कारण पृथ्वी की शीतलता और सुधा के वर्षण का उनका कार्य रुक गया | चारों ओर हाहाकार
मचने लगा , त्राहि – त्राहि होने लगी | सृष्टि के संचालन में समस्या आने लगी|
चंद्रदेव की इस हालत के कारण देवराज इंद्र , सभी देवतागण और गुरु बृहस्पति चिंतित हो उठे | इस श्राप के समाधान के
लिए वे सभी भगवान ब्रह्मा जी के पास गए | ब्रम्हा जी ने इस श्राप से मुक्ति के लिए उपाय बताया कि चंद्रदेव को पवित्र
प्रभास क्षेत्र में जाकर मृत्युंजय महादेव की आराधना करनी होगी उनकी कृपा से अवश्य ही चंद्र देव का श्राप नष्ट हो जाएगा
और चंद्र देव रोग मुक्त हो जाएंगे |
चंद्रदेव श्राप से मुक्त होने के लिए प्रभास क्षेत्र में गए| वहां उन्होंने एक शिवलिंग का निर्माण किया और महामृत्युंजय की
आराधना करने लगे| चंद्रदेव ने महामृत्युंजय जप करते हुए घोर तपस्या की | इस कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान
शिव ने चंद्र देव को दर्शन दिया और अमृत्व का वरदान प्रदान किया| उन्होंने चंद्र देव से कहा " चंद्र, तुम मेरे वरदान से श्राप
मुक्त भी हो जाओगे और दक्ष प्रजापति के वचनों की रक्षा भी हो जाएगी, कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन तुम्हारी एक-एक कला कम
होती जाएगी परन्तु शुक्ल पक्ष में एक-एक कला बढ़ जाएगी और पूर्णिमा के समय तुम्हें पूर्ण चंद्रत्व प्राप्त हो जाएगा | चंद्र
देव का क्षय रोग पूरी तरिके से ठीक हो गया जिससे वह अत्यंत प्रसन्न हुए और पुनः धरती के शीतलता और सुधा के वर्षण का
कार्य सुचारु रुप से चलने लगा |
ये भी पढ़े:-पहले दिनेश कार्तिक और अब उनकी पत्नी ने किया देश का नाम रोशन
श्राप मुक्त होने के बाद चंद्र देव ने सभी देवताओं के साथ मिलकर भगवान शिव से प्रार्थना की, कि वह माता पार्वती के साथ
धरती के उद्धार के लिए यहां सदा के लिए निवास करें| भगवान शिव ने चंद्र देव और सभी देवताओ की प्रार्थना स्वीकार
कर ली और शिवलिंग के रूप में माता पार्वती के साथ सदा के लिए निवास करने लगे |
चंद्रमा का एक नाम “सोम” भी है और भगवान शिव को नाथ मानकर चंद्र देव ने यहां तपस्या की थी इसलिए इस
ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ गया | इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही समस्त प्राणी पाप मुक्त हो जाते हैं और शिव
जी अपनी कृपा प्रदान करते है |
तो इस प्रकार श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई | अन्य11 शिवलिंगो केउतपत्ति का रहस्य जानने के लिए पढ़िए
हमारा अगले संस्करण और ऐसे ही रोचक जानकारी के लिए बने रहिये हमारे मीडिया चैनल Jan Sathi Media
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