Neha singh rathore:लोक गायिका नेहा सिंह राठौर का भोजपुरी गीतों की अश्लीलता पर बयान
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- rohit singh
- July 21, 2024
- मनोरंजक
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर का भोजपुरी भाषा और संस्कृति बचाने का अभियान
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर, जो अपने भोजपुरी गीतों और बयानों के लिए जानी जाती हैं, ने एक बार फिर भोजपुरी गीतों और भाषा को बचाने के महत्व पर जोर दिया है। उनका मुख्य लक्ष्य भोजपुरी गीतों और भाषा को संरक्षित करना और उन्हें समृद्ध बनाना है। नेहा अक्सर अपने गीतों के माध्यम से अश्लीलता का विरोध करती हैं और भोजपुरी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करती हैं। उनके गीत न केवल वायरल होते हैं, बल्कि वे राजनेताओं पर भी निशाना साधती हैं।
भोजपुरी बचाओ आंदोलन की शुरुआत
नेहा सिंह राठौर ने अपने भोजपुरी बचाओ आंदोलन की शुरुआत तीन-चार साल पहले की थी। उन्होंने बताया कि इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य उन गीतों को संरक्षित करना है जो 30-40 साल पहले हमारे पूर्वजों ने गाए थे। नेहा ने कहा, “मैंने तीन-चार साल पहले भोजपुरी बचाओ आंदोलन शुरू किया था। इसके तहत मैं उन गीतों की एक डायरी बना रही हूं, जो हमारे पूर्वजों ने गाए थे। भोजपुरी को समृद्ध बनाने के लिए मैं साफ-सुथरे गाने लिख रही हूं। आजकल अश्लील भोजपुरी गाने बजते हैं। मैंने इसके खिलाफ यह आंदोलन शुरू किया है।
अश्लील गीतों के खिलाफ नेहा का संघर्ष
नेहा सिंह राठौर ने अश्लील गीत गाने वाले गायकों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, “मेरी लड़ाई उन लोगों के खिलाफ है, जो ‘लहंगा उठा देब रिमोट से’ और ‘फटाफट’ जैसे गाने गाकर संसद में बैठे हैं। ‘खोल के देखाव’…जब ऐसे गीत गाने वाले लोगों को टिकट दिया जाता है तो लड़ाई, मेरा आंदोलन और मेरे सवाल तीखे हो जाते हैं।”
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बीजेपी पर नेहा का हमला
नेहा सिंह राठौर ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “बीजेपी ने पवन सिंह को आसनसोल से मैदान में उतारा है, इसलिए मुझे लगता है कि बीजेपी ऐसे गायकों को बढ़ावा दे रही है और भाषा का अपमान करने वाले लोगों को टिकट देकर सम्मानित कर रही है। यह मेरी लड़ाई है। लोगों ने भोजपुरी को बदनाम किया है। संसद को ऑर्केस्ट्रा, डीजे नहीं बनाया जाएगा। यह सम्मानजनक जगह है।”
भोजपुरी भाषा और संस्कृति का संरक्षण
नेहा सिंह राठौर का मानना है कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति को संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों का मुख्य उद्देश्य लोगों में भोजपुरी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके शुद्ध रूप को लोगों तक पहुंचाना है। नेहा का मानना है कि भोजपुरी के शुद्ध और पारंपरिक गीतों को लोगों तक पहुंचाकर ही हम इसे बचा सकते हैं।
आगे की योजना
नेहा सिंह राठौर ने अपने आंदोलन की आगे की योजना के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि वे लगातार ऐसे कार्यक्रम आयोजित करेंगी जिनमें भोजपुरी के शुद्ध और पारंपरिक गीतों को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा, वे विभिन्न मंचों पर जाकर भोजपुरी के संरक्षण और संवर्धन के लिए लोगों को जागरूक करेंगी।
नेहा के गीतों का प्रभाव
नेहा सिंह राठौर के गीतों का प्रभाव उनके प्रशंसकों पर गहरा है। उनके गीत न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि वे सामाजिक मुद्दों को भी उठाते हैं। उनके गीतों के माध्यम से उन्होंने कई बार राजनेताओं पर निशाना साधा है और समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई है।
नेहा की व्यक्तिगत जीवन
नेहा सिंह राठौर का व्यक्तिगत जीवन भी काफी दिलचस्प है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक छोटे से गांव से की थी और आज वे भोजपुरी संगीत जगत की एक प्रमुख हस्ती बन चुकी हैं। उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है।
नेहा के गीतों की लोकप्रियता
नेहा सिंह राठौर के गीतों की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके गीत न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी सुने जाते हैं। उनके गीतों की सरलता और सच्चाई ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है।
निष्कर्ष
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर का भोजपुरी गीतों और भाषा को बचाने का आंदोलन एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके प्रयासों से भोजपुरी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। नेहा का मानना है कि अगर हम सभी मिलकर भोजपुरी के शुद्ध और पारंपरिक गीतों को संजोने का प्रयास करें, तो हम इसे बचा सकते हैं और इसकी गरिमा को बनाए रख सकते हैं। उनकी यह लड़ाई और आंदोलन न केवल भोजपुरी के लिए बल्कि पूरे भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा है।
नेहा की अपील
अंत में, नेहा सिंह राठौर ने सभी से अपील की कि वे भोजपुरी भाषा और संस्कृति के संरक्षण में उनका साथ दें। उन्होंने कहा, “हम सभी को मिलकर भोजपुरी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने भविष्य को एक समृद्ध और शुद्ध सांस्कृतिक धरोहर सौंपें।”
नेहा सिंह राठौर की इस पहल का समर्थन करते हुए हमें उम्मीद है कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति को एक नया जीवन मिलेगा और यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बनेगी।
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